कोरोना उतना खतरनाक नहीं है, जितना सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर इसके बारे में बताया जा रहा है। आधी से ज्यादा बाते झूठी है और अफवाहों की वजह से लोग डरे हुए है। उन्ही के लिए आज हम ये आर्टिकल ले कर आए है। जिसमे आपको कोरोना वायरस से जुडी 3 जरुरी बाते बतायेंगे, इन्हें पढने के बाद आप इससे बिल्कुल भी नहीं डरोगे।
कोरोना क्या है, ये बताने की जरुरत नहीं है क्युकी इसके बारे में हम पहले से कोरोना वायरस (Coronavirus) क्या है और इससे कैसे बचें? आर्टिकल में बता चुके है।
इसके प्रभाव को साधारण शब्दों में कहें तो यह संक्रमित व्यक्ति के स्पंजी फेफड़े को धीरे-धीरे ठोस बना देता है, जिससे सांस लेनें में दिक्कत होती है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
पर आपके लिए यह समझना जरूरी है कि क्या कोरोनावायरस वास्तवव में उतना खतरनाक है जितना सोशल मीडिया और news channels पर बताया जा रहा है?
आईये जानते है और ये बात आप खुद decide कीजिये।
Table of Contents
क्या वास्तव में कोरोना वायरस खतरनाक है?
12 फरवरी 2024 को खबर आई कि आंध्रप्रदेश में एक प्रोढ़ उम्र व्यक्ति ने कोरोना वायरस से संक्रमित होने के आशंका से सूसाइड कर लिया, ताकि वह बीमारी उसके तीन बच्चों और परिवार में ना फेल सके।
जबकि जांच में पता चला कि उसको मामूली जुकाम हुआ था और जब इस बारे में उनके बेटे से पूछताछ की गई तो पता चला कि कुछ दिनों से उनके पिता की तबीयत ख़राब थी, जिसे वे डॉक्टर को भी दिखाये थे।
डॉक्टर ने बीमारी की वजह अज्ञात वायरस को बताया था। जैसा की आप जानते ही होंगे सर्दी-जुकाम के कई प्रकार के वायरस होते है। लेकिन वह व्यक्ति सारा दिन ऑनलाइन दुनिया में और Social Media से आई कोरोनावायरस से जुडी खबरों वाली वीडियो को देखते रहते थे और उन्हें लगने लगा कि उनके बीमारी के लक्षण Covid-19 से मिलते-जुलते है।
यह बात उनके मन इतना घर कर गयी और वे परिवार के सदस्य से मिलने से डरने लगे फिर इसी दर से उन्होंने आत्महत्या कर ली। वाकई में जिस तरह से सोश्ल मीडिया और News Channels पर जहरीली अफवाहों की नदियां बहाई जा रही है, उसे देखकर कोई भी anxiety में जा सकता है।
दुनिया पर पहली बार इस तरह के महवारी का अटैक नहीं हुआ है। अबतक 5-6 बार दुनियाँ ने ऐसी तस्वीर देखी, जिसमें अफवाहों का सागर उफान पर ही रहा है। इस डिजिटल युग में सभी देश, स्टेट और जनता interconnected है, जिसके कारण अफवाह की छोटी-सी तिल्ली भी चंद्रमा पर बसने की चाह रखने वाले इंसान को डर और संशय की घेरे में कैद कर देता है।
जिसका एक रूप है Whatsapp Forward/Army जिसने जाने-अनजाने में बहुत से Mob Lynching को घटित किया। कही आप भी अफवाहों के घेरे में तो नहीं? इसका परीक्षण आप Covind-19 की तुलनात्मक अध्ययन से कर सकते है।
तो आईये जानते है कोरोना से जुडी अहम बाते, जिन्हें जानने के बाद आप इससे डरना बंद कर दोगे।
कोरोना वायरस से जुडी कुछ अहम बातें
कोरोना को सबसे ज्यादा इन न्यूज़ चैनल वालो ने खतरनाक बनाया हुआ है। कोई भी न्यूज़ हो बिना प्रूफ के शेयर कर देते है। TV हो या सोशल मीडिया हर जगह बस इसके बारे में ही अफवाह मिलेगी।
जबकि इससे जुड़े अध्ययन से कुछ बाते पता चली है जो बताती है की हमे इससे डरने की जरुरत नहीं है।
1. मृत्यु दर है सबसे कम
यदि Covid-19 की तुलना SARS(2003), MERS(2020), H1N1 “Swine Flue”(2009) जैसे महामारी से करे तो यह दूसरी सबसे व्यापक महामारी है, जिसके सबसे ज्यादा Case है।
लेकिन वही इससे मरने वालों की दर की ओर ध्यान दे तो यह वायरस टेबल में नीचे से दूसरे स्थान पर ठहरता है। वही ताजा आंकड़ें की बात करे तो दुनियाभर में 142,320 cases(14-3-20) confirmed हुई है। जिसमें 5388 मौते हुई है, पर 63 हजार से अधिक लोग रिकवर भी हुए है।
2. Healthy Immunity वालों को सबसे कम खतरा
जो व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ है, उस पर कोरोना का महज 1% खतरा होता है, जिसे Chinese Center For Disease Control and Prevention पुख्ता कर चूका है।
उनकी रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार चाइना में कोरोना से हुए अबतक मौतों में 10.5% Heart Disease, 7.3 Diabetes, 6.3% Chronic Respiratory Disease, 6% High blood pressure, 5.6% cancer से पीड़ित व्यक्ति थे। वही 0.9% मरने वाले व्यक्ति को पहले से कोई रोग नहीं था।
इस रिपोर्ट के बाद ही कोरोना के गर्भगृह वुहान से खबर आई कि 103 साल की बुजुर्ग महिला महज 6 दिनों में इस वायरस से मुक्त हो गई। इसके साथ ही यह महिला इस रोग से स्वस्थ होने वाली दुनियाँ की सबसे उम्रदराज इंसान बन गई।
जिनका नाम झांग गुंगफेन (Zhang Guangfen) है। वुहान के लियून हॉस्पिटल के डॉक्टर के मुताबिक, यह महिला 1 मार्च को एड्मिट हुई थी और उन्हें कोरोना के अलावा कोई भी बीमारी नहीं थी। जिसके कारण वो तेजी से रिकवर कर सकी।
3. जवान डरे नहीं, बुजुर्ग बचे
बढ़ती उम्र के साथ शरीर के अंग की क्रियाशीलता पर प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा क्षमता भी कम हो जाती है। जिसके कारण आए दिन रोगों से बुजुर्गों का दो-चार होना लाजमी-सा हो गया है।
कोरोना का भी प्रभाव प्रतिशत बढ़ते उम्र के साथ दुगुनी-तिगुनी गति से बढ़ी है।
CCDCP के अनुसार 80 वर्ष से ऊपर वाले की करीब 15%, 70-79 वर्ष वाले की 8%, 60-69 वर्ष वाले की 3.6%, 50-59 वर्ष वाले की 1.3% और इसके नीचे दहाई अंतराल वाले चार वर्ग की 0.5% से भी कम मृत्यु दर है।
लेकिन पर्याप्त जिजीविषा दिखाये तो दूसरे बीमारी और बुजुर्ग होने पर भी इस वायरस से रिकवर होने की संभावना है। जैसा कि वुहान निवासी 100 वर्षीय बुजुर्ग पुरुष के साथ हुआ, जो पहले ही अल्जाइमर, Hypertension और Heart failure जैसे गंभीर बीमारी से पीड़ित था।
जिसे वुहान के Hubei Maternity and Child Health Care Hospital में 24 फरवरी को एड्मिट कराया गया था, जहां आर्मी डॉक्टर्स ने उसका दो हफ्ते में ही सफलतापूर्वक इलाज कर दिया।
4. डर की इंडस्ट्री?
एक इंसान को अपनी फ़ैमिली, घर, नौकरी और स्वास्थ्य सबसे प्यारी होती है, जिसकी care और पाने के लिए अथक प्रयास करता है। इसलिए सबसे ज्यादा लाभ वाले बिज़नस इसी वर्ग में मिलते है। अगर यहाँ डर बनाया जाए तो क्या होगा?
जाहिर है एक पार्टी की जेब खाली और दूसरे की छप्पड़ फाड़ कमाई होगी। आखिर भारत में पाखंडी बाबायों का यही तो बिज़नेस मॉडल है।
Theguardian.com के जर्नलिस्ट सिमोन जेंकिंस लिखते है, जब अफवाह उड़े तो हमें हिस्टरी में झांकना चाहिए।
1997 में कहा गया था कि बर्ड फ्लू से दुनियाभर में Millions मारे जाएंगे, पर शुक्र है ऐसा कुछ नहीं हुआ। 1999 में यूरोपियन यूनियन व्यज्ञानिकों BSE 5,00,000 लोगों को मार सकती है, पर केवल 177 ब्रिटिश ही मरे।
2003 में जब Sars फैली तो 10 लाख मौत की आशंका जताई गई थी, जो HIV ads से भी बुरा होगा। यही नहीं जब 2006 में Bird Flu को 21वीं शताब्दी की पहली माहमारी घोषित किया था, तब भी एक्सपर्ट के पूर्वानुमान आंकड़ें भारी अंतराल के कारण शर्म से अपने चेहरा छुपाते नजर आए।
2009 में स्वाइन फ्लू बर्ड की बजाय सूअर से फैलने लगी, जिसे BBC ने विस्फोट कहा। यूके के मौजूदा चीफ़ मेडिकल ऑफिसर लियम डोनाल्डसन 65,000 जानें जाने का पूर्वानुमान लगाया।
इस रोग से लड़ने के लिए TamilFlu और Relenza stockpile नामक एंटीडोट के निर्माण पर 560 मिल्यन यूरो खर्च किया। जिसे यूरोपियन हेल्थ कमिटी के प्रमुख ने सेंचुरी का सबसे बड़ा मेडिकल स्केंडल बताया।
मैं आपको ऐसे कई सारे उदाहरण बता सकता हु जब लोगो को अफवाह फैला कर डराया गया। कोरोना के साथ भी वैसा ही हो रहा है। अब आपको ये बात अच्छे से समझ आ गयी होगी कि,
बीमारी से ज्यादा खतरनाक उसकी अफवाहें होती है।
आज के समय में सोशल मीडिया और न्यूज वीडियो से दूर नहीं रहा जा सकता है। लेकिन हमें समझना होगा कि सिक्के की तरह हर चीज की दो पहलू होते है। जिसमें किसी भी पहलू पर राय बनाने से पहले उसके विश्वनीयता, स्त्रोत और लहजा पर जरूर विचार करे।
तो किसी भी तरह का अंतिम निर्णय लेने के लिए संबन्धित क्षेत्र के गुणी व्यक्ति का मार्गदर्शन जरूर ले। यही बातें कोरोना से जुड़ी हर खबर पर लागू होती है। संयम के साथ सुरक्षित रहे।
आपको क्या लगता है कोरोना वायरस वास्तव में बहुत खतरनाक है या इसे वैसा बनाया जा रहा है। हमे कमेंट करके अपनी राय जरुर बताये।
ये भी पढ़े,
- कोरोना वायरस (Corona virus) के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें
- कोरोना वायरस और आम खांसी-जुकाम में क्या फर्क है, कैसे पहचानें?
इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे ताकि वो भी इससे जागरूक हो सके।
Jugal Thakkar
Sir क्या coronavirus से लोगो की death हो सकती है और क्या sir coronavirus से बचने के लिए लोगो को mask लगाना जरुरी है |
जुमेदीन खान
Death तो किसी भी बीमारी से हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होता, उसका इलाज हो सकता है और कोरोना से डेथ चांस बहुत कम होता है, इसीलिए डरे नहीं, बल्कि हिम्मत से काम ले और इलाज करवाए, मास्क जरुरी नहीं है लेकिन बचाव के लिए बेहतर है
Chandan yadav
जब भी मैं इस ब्लॉग पर विजिट करता हु तब मुझे हर बार एक नई जानकारी मिलती है और मैं खुश हो जाता है क्योंकि मुझे नई नई चीजों के बारे में जानना अच्छा लगता है। और नई नई चीजों के बारे में जानने के लिए ही मैं इस ब्लॉग विजिट करता हु। और और मैं सुक्रिया अदा करना चाहता हु जुमेदिन भाई का और उन तमाम लेखकों का जो हम जैसे पाठको का मदद करते है लेख लिखकर
धन्यबाद
Ravi Kumar
धन्यवाद चन्दन जी, आपके Appreciation के लिए। बस आपके एक ही Request है, इस Article को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। अफवाहों से बचना और बचाना सबकी ज़िम्मेदारी है।