जीवन में अनुशासन का महत्व – Importance of Discipline in Hindi

हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत गहरा महत्व है। अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन वह कुंजी है जिससे हम जीवन का विकास कर पाते है और सफलता के अनेक चरण छूते है। अनुशासन हमारी आत्मा में सुधार करता है। यही वह है जो हमें जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। आईये अनुशासन का महत्व (Importance of Discipline) जानते हैं।

Importance of Discipline in Hindi

अनुशासन सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अनुशासित रहकर ही हम सफल और खुशहाल जीवन जी सकते है। हम देखें तो पूरी प्रकृति एक अनुशासन से बंधी हुयी है। सूरज का रोज एक ही दिशा में उगना और उसी तरह अस्त होना अनुशासन के ही प्रणाम हैं।

चाँद, तारे, बिजली, बादल आदि सबका अनुशासन है। इनमें भी जब किसी का अनुशासन भंग होता है तब कुछ अप्रतीक्षित और विनाशक घटनाएँ घटित होती है। एक क्रम से ही वस्तुओं का आना-जाना होता है।

समुद्र में ज्वार-भाटा आने पर भी समुद्र मर्यादित (सीमित) रहता है। एक निश्चित गति से पृथ्वी का सूर्य के चारों और चक्कर लगाना या अनेक उपग्रहों का अपनी गति से गतिमान रहना उनके अनुशासन का ही परिचालक है।

ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। कहा गया है कि – “काक चेष्टा बको ध्यानम श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी ब्रह्मचारी विद्यार्थी पंच लक्क्षणम।”

जीवन में अनुशासन क्यों जरूरी है

विद्यार्थी के ये पाँचों गुण उनके अनुशासन की ही विभिन्न सीढ़ियाँ हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है। जिसमें वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक और रचनात्मक निर्माण करता हैं।

अनुशासन कितने प्रकार का होता है

अनुशासन दो प्रकार का होता है, पहला – आत्मानुशासन, दूसरा – बाह्र अनुशासन। आत्मानुशासन का मतलब है आत्मा के द्वारा अनुशासन अर्थाथ इसमें किसी अन्य व्यक्ति का बाध्यकारी दबाव नहीं होता और विद्यार्थी अपने जीवन को खुद से प्रेरणा लेकर अनुशासित करता है।

इसमें समय पर उठना अपनी दिनचर्या के जरूरी कामों का निष्पादन कर पढ़ाई के प्रति जागरूक रहना और स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आदि शामिल हैं।

हम जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है इसलिए आत्मानुशासन की प्रेरणा विद्यार्थी के जीवन के निर्माण की पहली सीढी हैं।

दूसरी और बाहरी अनुशासन स्वयं के अलावा किसी दुसरे व्यक्ति के दबाव होने और उसके अधिकारों के कारण माना जानेवाला अनुशासन होता है।

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ ही अनु+शासन है। अनु का अर्थ है अनुरूप या अनुसार और शासन का अर्थ है शासित होना या परिचालित होना।

इसका मतलब यह हुआ कि विद्यार्थी बहुत से कामों में खुद के द्वारा परिचालित होता है और बहुत से दुसरे कार्यों में शिक्षक, माँ-बाप और विद्यालय द्वारा परिचालित होता है।

इसलिए इस अवस्था में जो वह सीखता है वे उसके जीवन के स्थाई मूल्य बन जाते हैं। संसार में अनेक महापुरषों ने अनुशासित रहकर ही पुरे विश्व का मार्गदर्शन किया है।

यही कारण है की अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे जीवन में एक महान भूमिका निभाता हैं।

जीवन के हर कदम के लिए अनुशासन बहुत मूल्यवान है। हमें हर समय अनुशासित रहना होगा। हमें हर समय अनुशासन में रहना चाहिए क्योंकि एक शांतिपूर्ण जिंदगी के लिए यह बेहद जरूरी हैं।

अनुशासन हमें नियंत्रण में रखता है। यह व्यक्ति को जिम्मेदार इन्सान बनने में मदद करता है और यह व्यक्ति को आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए प्रेरित करता है। जबकि अनुशासित जीवन के बिना हम अपने लक्ष्यों की दिशा में काम नहीं कर सकते हैं।

अगर हम अनुशासित रहकर जीवन बिताये तो हम अपने जीवन को खुशहाल और भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। आशा करता हूँ, अब आप जान गये होंगे की हमारे जीवन में अनुशासन कितना महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा भी हम यहाँ एक कहानी के माध्यम से आपको अनुशासन का महत्व बताने की कोशिश कर रहे हैं।

अनुशासन का महत्व पर कहानी

यह कहानी उस समय की है जब गांधीजी के आश्रम में सभी लोग एक साथ रसोईघर में भोजन करते थे और सबके साथ गांधीजी भी खाना खाते थे। लेकिन भोजनालय का एक नियम था।

वो नियम यह था की जो आदमी भोजन शुरू होने से पहले भोजनालय में नहीं पहुँचता था उसे अपनी बारी के लिए बरामदे में इंतजार करना पड़ता था। क्योकि भोजन शुरू करते ही रसोईघर घर के दरवाजे बंद कर दिये जाते थे।

ताकि समय पर न आने वाला व्यक्ति अंदर ने आ सकें। एक दिन गांधीजी भोजन शुरू होने के समय पर भोजनालय नहीं पहुँच सके। गांधीजी दरवाजे पर ही खड़े होकर इंतजार करने लगे।

उनके एक दोस्त ने देखा की वे रसोईघर के दरवाजे के बाहर खड़े है और वहाँ बैठने के लिए कोई कुर्शी भी नहीं है। उन्होंने गांधीजी से कहा की बापू आज तो आप भी गुनहगारों के कटघरे में आ गये?

तो गांधीजी बोले की अनुशासन का पालन करना तो सबका कर्तव्य होता है तो मेरा क्यों नहीं। तो उनके दोस्त ने कहा की मैं आपके लिए कुर्शी ले आता हूँ।

बापूजी ने ना कह दी, और जवाब दिया की कुर्शी की जरूरत नहीं है, मैंने अनुशासन का उल्लंघन किया इसलिए मुझे भी पूरी सजा भुगतनी चाहिए। जैसे देर से आने वाले लोग बरामदे में खड़े रहते है, वैसे ही आज मैं भी खड़ा रहूँगा।

जीवन में हमारे पास हमेशा दो विकल्प होते है, पहली – हम दूसरे के द्वारा बलपूर्वक अनुशासित किये जाये। दूसरी – हम खुद अपने आप को अपने दिमाग से अनुशासित कर लें।

उदाहारण के तौर पर, सिग्नल रीड लाइट पर या तो आप खुद समझ कर रूक जाये या पुलिस के द्वारा रोके जाये। आपको रूकना ही होगा खुद या किसी और के द्वारा क्योंकि आपकी अनुशासनहीनता आपकी मौत की जिम्मेदार भी बन सकती हैं।

इसलिए हमें बाहरी अनुशासन के साथ-साथ आंतरिक अनुशासन का पालन भी करना चाहिए। आशा करता हूँ, इस पोस्ट से आपको अपने जीवन में अनुशासित रहने की प्रेरणा मिलेगी।

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Reader Interactions

Comments (4)

  1. जीवन में अनुशासन नहीं, तो आप में और जानवर में कोई फर्क नहीं

    • This is a very unik post

  2. Great article…

  3. Bahut hi badhiya post. Anushasan hi safalta ki kunji hai.