Raksha bandhan हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध त्योहार है जिसे राखी का त्योहार (festival of rakhi) भी कहते हैं। यह पर्व भारत के कोने-कोने में मनाया जाता है। रक्षा का मतलब है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है बंधा हुआ। इस प्रकार रक्षाबंधन का अर्थ है सुरक्षा का बंधन। यह भाई-बहन का त्योहार है। इस दिन लोग जल्दी उठते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। बहनों ने थाली में राखी, मिठाई, दीया और हल्दी लगाई। भाई अपनी बहन की पसंदीदा चीजें उपहार के रूप में उन्हें बदले में देने के लिए लाते हैं। वे दोनों एक स्थान पर अनुष्ठान करने के लिए बैठते हैं। बहनें रंग-बिरंगे पवित्र धागे को बांधती हैं और अपने भाइयों को प्यार से अपने हाथों से मीठा खिलाती हैं।
रक्षा बंधन भाई-बहन का त्योहार है। यह सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा बंधन का अर्थ है सुरक्षा का बंधन। सूत से लेकर सोने जैसी महंगी धातु तक के धागों से राखी बनाई जा सकती है। इस दिन घरों के बाहर राम और सीता का नाम लिखा जाता है। इस दिन घरों में कई तरह के व्यंजन बनते हैं। इस दिन लोग पेड़ों पर भी रक्षा का धागा बांधते हैं।
रक्षा बंधन हिंदू समाज में प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा भारत के प्रत्येक हिस्से में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। Raksha bandhan भाई और बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। बहन पूजा की थाली को कुमकुम, दीया, चावल, मिठाई और राखी से सजाती हैं। वह अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और उनकी कलाई पर राखी बांधती है। वह भाइयों को मिठाई खिलाती है और उनके अच्छे भाग्य की कामना करती है।
भाई भी अपनी बहनों को गिफ्ट देते हैं और उनकी रक्षा का वादा करते हैं। सभी अपने दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने-अपने काम में लगा हुआ है। रक्षा बंधन का पर्व हमें इस व्यस्तता से मुक्त कर अपने सगे-संबंधियों से मिलने का अवसर देता है।
रक्षा बंधन पर निबंध, राखी पर निबंध – Essay on Raksha Bandhan in Hindi 2024, Essay on Rakhi Festival in Hindi
रक्षा बंधन भारत में मनाया जाने वाला एक पवित्र त्योहार है। वैसे तो यह हिंदुओं का त्योहार है लेकिन सादगी, पवित्रता और इसकी मूल भवन से आकर्षित हो सभी धर्म और संप्रदाय के लोग इसे मनाने लगे हैं। रक्षाबंधन भाई और बहन का त्योहार है। अपने आप में अनूठा यह पर्व पूरे विश्व में केवल भारतंवशी ही मनाते हैं। यह पर्व भारत की सभ्यता, संस्कृति तथा मूल्यों एवं आदर्शों से हमारे जुड़ाव को प्रदर्शित करता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है।
इस दिन भाई-बहन नहा-धोकर साफ कपड़े पहनते हैं और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं। परिवार के बड़े-बुजुर्ग ईश्वर से घर की खुशहाली को बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं। उसके बाद बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं तथा उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। बदले में भी बहन को कुछ उपहार देते हैं। वास्तव में रक्षा सूत्र बांधकर बहनें भी स्वास्थ्य तथा सुरक्षा की प्रार्थना तथा उसके दीर्घायु होने की मंगल कामना करती हैं और भाई भी बहनों के इज्जत और खुशी की रक्षा करने का वचन लेते हैं।
भाई-बहन का प्रेम है ही इतना पवित्र कि उसे किसी प्रकार के छल, प्रदर्शन या दिखावे की आवश्यकता नहीं है। यही कारण है कि raksha bandhan अत्यंत सादगी से मनाया जाने वाला त्योहार है। किसी प्रकार का कोलाहल इस त्योहार में नहीं पाया जाता है, अपितु वातावरण में एक सुगंध सी छाई रहती है। रास्ते पर चलने वाले हर भाई की कलाई पर बंधी राखी देख मन पवित्र भावनाओं से भर जाता है।
रिश्तों की यह भीनी सी महक हमारे जीवन को सुवासित करती है। भाई-बहन के प्रेम की डोर जहां पूरे परिवार को जोड़े रखने में सहायक है, वहीं रक्षाबंधन पारिवारिक और सामाजिक भाईचारे को सुद्धढ करता है। यह पर्व हमारे देश में कब से मनाया जा रहा है, इसकी तो कोई निश्चित तिथि हमें ज्ञात नहीं है लेकिन कहा जाता है कि चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने अपने राज्य तथा अपने सम्मान की रक्षा के लिए दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर सहायता माँगी तो और हुमायूँ उनकी रक्षा के लिए चल पड़े थे। इस कथा से यह पता चलता है कि रक्षाबंधन का प्रचलन तब भी रहा होगा और राखी की महत्ता भी।
एक महीने पूर्व ही बाजारों में राखियों की दुकानें लग जाती है। राखी कार्ड के अलावा, तरह-तरह के उपहार देखने को मिलते हैं। हमारे देश में मुँहबोले भाई तथा मुँहबोली बहनें भी काम नहीं हैं। जिनके अपने भाई या बहन नहीं होते थे किसी और को बहन या भाई बनाकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं। राखी के पवित्र धागे नए रिश्तों को जन्म देते हैं, और वे रिश्ते ऐसे होते हैं जो कभी नहीं टूटते हैं।
रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। भी अपने बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। यह राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। हम यह पर्व सदियों से मनाते आ रहे हैं। आजकल, इस दिन बहनें अपने भाइयों के घर राखी और मिठाई लेकर आती हैं। राखी बँधवाने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार या दक्षिणा देते हैं। इस प्रकार आदान-प्रदान से भाई-बहन के मध्य प्यार और प्रगाढ़ होता है।
सन 1535 में जब मेवाड़ की रानी कर्णावती पर बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया, तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर मदद के लिए कहा। रानी कर्णावती खुद एक वीर योद्धा थी इसलिए वह खुद भी जंग के मैदान में उतर गयी। इस दिन सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं। सभी का मन हर्ष और उल्लास से भर होता है। बहनें अपने भाइयों के लिए रखियाँ आदि खरीदती हैं, भाई भी अपनी बहनों के लिए कोई बढ़िया उपहार खरीदते हैं।
हमारे हिन्दू समाज में वो लोग इस त्योहार को नहीं मनाते, जिनके परिवार में से रक्षाबंधन वाले दिन कोई पुरुष- भाई, पिता, बेटा, चाचा, ताऊ, भतीजा मार जाता है। इस पुण्य पर्व पर किसी पुरुष के निधन से यह त्योहार खोटा हो जाता है। फिर यह त्योहार पुन: तब मनाया जाता है जब रक्षाबंधन के ही दिन कुटुंब या परिवार में किसी को पुत्र की प्राप्ति हो। हमारे हिन्दू समाज में ऐसी कई परम्पराएं हैं, जो सदियों से चली या रही हैं। उन्हें समाज आज भी मानता है। यही परम्पराएं हमारी संस्कृति भी कहलाती हैं। परंतु कई परम्पराएं, जैसे – बाल विवाह, नर-बलि, सती प्रथा आदि को कुरीति मानकर हमने अपने जीवन से निकाल दिया है; परंतु जो परंपराएँ हितकारी हैं, उन्हें हम आज भी मान रहे हैं। अत: रक्षाबंधन का त्योहार एक ऐसी परंपरा है जो हमें आपस में जोड़ती है इसलिए इसे आज भी सब धूमधाम और पूरे उल्लास के साथ मनाते हैं।
Raksha Bandhan हमारे देश का महान और पावन पर्व है। इसे हिन्दू लोग बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। यह पर्व प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को सारे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को सारे राष्ट्र में अनेक नामों से जाना जाता है। अधिकतर यह श्रावणी, राखी व सलूनों आदि नामों से जाना जाता है। भाई बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक यह त्योहार अपने आप में एक महान पर्व है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को तिलक करके उनकी कलाइयों पर राखी बांधती है। भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधने के बदले में अपनी सामर्थ्य के अनुसार धनराशि तथा अन्य प्रकार के उपहार देते हैं।
इस दिन बहनें अपने भाईयों के सफल जीवन की कामना करती है और भाई भी अपनी बहनों की हमेशा रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। इस दिन घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सभी बच्चे, स्त्री व पुरुष नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। इस दिन धार्मिक लोग नदियों में स्नान करते हैं उसके बाद यज्ञ करते हैं और नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व भी है। एस कहा जाता है कि जब सुल्तान बहादुरशाह ने चारों और से चित्तौड़गढ़ को घेर लिया था तब चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने अपनी रक्षा के लिए हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। तब राखी के बंधन में बंधा हुआ हुमायूँ अपने बैर-भाव को भुला कर महारानी की रक्षा के लिए चल पड़ा। इस प्रकार प्रेम, त्याग तथा पवित्रता का संदेश देने वाला यह पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न होता है।
इस प्रकार, प्यार, समर्पण और पवित्रता का संदेश देने वाला यह त्योहार खुशी के साथ मनाया जाता है।
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