इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है जो सिखाता है कि केवल एक ही ईश्वर है और सिर्फ वही पूजनीय है। ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और सच्चा धर्म है लेकिन आज इसमें भी कई तरह की भ्रांतियां और गलतफहमियां फैल चुकी है। बहुत से मुसलमान झूठी बातों पर यकीन करते हैं और उन्हें मानने की गलती भी करते हैं। यहां पर मैं आपको इस्लाम धर्म के बारे में फैली हुई 10 छोटी बातें बता रहा हूं।
मिथ्या बातें हर धर्म में होती है! शायद यह हमारी अज्ञानता की वजह से आती हैं या आसपास के परिवेश का असर होता है। इस्लाम धर्म के बारे में कुरान में लिखी एक-एक बात सत्य है।
बस कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा इस्लाम धर्म के बारे में गलतफहमियां फैलाई गई है। हम उनमें से 10 गलतफहमी के बारे में आपको यहां बता रहे हैं।
Table of Contents
- इस्लाम के बारे में 10 गलतफहमियां – Misconceptions about Islam in Hindi
- 1. ताजिया बनाना या जुलूस निकालना
- 2. कब्र पर मन्नते मांगना
- 3. मुस्लिम होने का मतलब मांसाहारी होना जरूरी
- 4. ज्यादा बच्चे पैदा करना, मतलब मजहब की तादाद बढ़ाना
- 5. जिहाद का मतलब बेगुनाह लोगों को मारना
- 6. मुसलमान काबा की पूजा करते हैं
- 7. इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है
- 8. इस्लाम निर्दोषों पर अत्याचार करता है
- 9. इस्लाम एक हिंसक धर्म है
- 10. सभी मुसलमान कट्टर सोच वाले होते हैं
- निष्कर्ष,
इस्लाम के बारे में 10 गलतफहमियां – Misconceptions about Islam in Hindi
कुरान अल्लाह की वाणी है, उसमें कोई झूठ नहीं है।बस हम लोगों ने एक दूसरे की बातें सुन शंकर गलत धारणाएं बना ली, जिन्हें लोग अब सच मानने लगे हैं।
1. ताजिया बनाना या जुलूस निकालना
ताजिया बनाना या उनका जुलूस निकालना हराम है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश में ताजिये नहीं बनाए जाते, ना ही
इस्लाम धर्म में ढोल नगाड़े-बजाकर या तख़्त-ताजिया उठाकर मातम करना और उनका जुलूस निकाला जाना नाजायज है।
2. कब्र पर मन्नते मांगना
कुछ मुसलमान लोग कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर अगरबत्ती और लोबान जलाकर उन से मन्नतें मांगते हैं। इस्लाम में इसकी सरासर मनाई है।
कब्रिस्तान में जाकर आपको दरूद शरीफ पढ़कर मुर्दों के लिए अल्लाह से रहम की दुआ करनी चाहिए, उनसे अपने लिए दुआ करना या कुछ मांगना गलत है।
3. मुस्लिम होने का मतलब मांसाहारी होना जरूरी
इस्लाम में मांसाहार “स्वैच्छिक” है ना कि अनिवार्य। जिस तरह इंसान रोटी, चावल, दाल में अपनी पसंद का चुनाव करता है, उसी तरह वह मांसाहार और शाकाहार में भी अपनी पसंद का चुनाव कर सकता है।
कुछ लोगों के मन में यह भ्रांतियां पैदा हो गई है कि इस्लाम में मांस खाना जरूरी होता है। ये जरूरी नहीं है आप पूरी तरह शाकाहारी होते हुए भी मुसलमान हो सकते हैं।
4. ज्यादा बच्चे पैदा करना, मतलब मजहब की तादाद बढ़ाना
कुछ लोगों ने (खास करके भारत में) इस्लाम धर्म के बारे में यह गलतफहमी पहला रखी है कि मुसलमान लोग अपने धर्म को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं।
ये बिल्कुल गलत है, अगर कुछ मुस्लिम लोगों के ज्यादा बच्चे हैं तो इसलिए नहीं कि वो अपने मजहब की तादाद बढ़ाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि उनमें शिक्षा और जागरूकता का अभाव है।
5. जिहाद का मतलब बेगुनाह लोगों को मारना
कुछ लोगों का मानना है कि इस्लाम में “जिहाद” का मतलब बेगुनाह लोगों को मारना, यह दूसरे धर्म के लोगों को मार कर अपने धर्म को आगे बढ़ाना होता है।
ये बात बिल्कुल गलत है, इस्लाम में जिहाद का मतलब होता है “रक्षात्मक युद्ध” यानी धर्म पर कोई विपत्ति आने या बेकसूर लोगों के लिए लड़ना, मतलब बुराई के खिलाफ लड़ना होता है।
6. मुसलमान काबा की पूजा करते हैं
कुछ लोगों का मानना है कि जब मुसलमान मूर्ति पूजा के विरुद्ध है तो फिर इसकी क्या वजह है कि मुसलमान नमाज में काबा की ओर झुकते हैं, काबा (जो पत्थर का बना है) की पूजा करते हैं।
“काबा” किबला है, अर्थात वह दिशा जिधर मुसलमान नमाज पढ़ते वक्त अपने चेहरे का रुख करते हैं। वो काबा की ओर रुख करते हैं ना कि काबा को, मतलब वह काबा की पूजा नहीं करते हैं।
इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग सिर्फ अल्लाह की पूजा ( इबादत) करते हैं और न ही किसी के सामने झुकते हैं।
7. इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है
इस्लाम धर्म को लेकर एक और यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि इस्लाम में औरत को कम तरह समझा जाता है। जबकि, सच्चाई इसके बिलकुल उलट है।
हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिलाओं को 1400 साल पहले वो अधिकार दिए हैं जो आज का कानून भी नहीं दे पाया है।
जैसे:- जीने का अधिकार (पहले लड़की पैदा होते ही उसे जिंदा दफना दिया जाता था), बेटी को बेटा जैसे समझने का अधिकार, वर चुनने का अधिकार, बेटी के रूप में पिता की और बीवी के रूप में पति की जायदाद की हिस्सेदार का अधिकार इत्यादि…
8. इस्लाम निर्दोषों पर अत्याचार करता है
इस्लाम में छोटे से छोटे गुनाह की सख्त सजा है। फिर निर्दोषों पर अत्याचार करना तो कत्ल करने जैसा है। इस्लाम में इंसान की जान को बहुत महत्व दिया गया है।
अगर कोई किसी व्यक्ति का कत्ल करता है तो वो इंसानियत का कत्ल करता है। यानी इस्लाम में इंसान की जान लेना पूरी इंसानियत की जान लेने जैसा है, फिर चाहे वह जान किसी मुसलमान की हो या किसी गैर-मुस्लिम की।
9. इस्लाम एक हिंसक धर्म है
प्रत्येक धर्म के अंदर अच्छा व्यवहार करना सही बताया गया है। इस्लाम हिंसा के खिलाफ है। कुरान में गरीब, निर्दोष और बेकसूर लोगों की मदद करने के लिए कहा गया है ना कि उनके साथ हिंसा करने के लिए।
कुछ बुरे लोगों की वजह से इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ा जाता है। जबकि यह सच नहीं है। जो मुसलमान ऐसा करते हैं, वो गलत है। वो कुछ बुरे (मुसलमान) लोगों की बातों में आकर ऐसा करते हैं।
10. सभी मुसलमान कट्टर सोच वाले होते हैं
ऐसा बिल्कुल नहीं है, अच्छे और बुरे लोग हर धर्म में होते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी लोग बुरे होंगे। मुसलमान दूसरों के प्रति दिल में स्नेह रखते हैं।
एक सच्चा मुसलमान किसी से नफरत नहीं करेगा। भले ही वह कितना भी बुरा क्यों ना हो। हमारे प्यारे नबी (स.अ.व) के साथ इतने अत्याचार हुए, इसके बावजूद वह अपनी उम्मत से बहुत प्यार करते थे।
चलिए मैं आपको एक उदाहरण बताता हूं,
प्यारे नबी (सल्ल0) पर इतने पत्थर बरसाए गए कि उनकी जुती खून से लबालब भर गई। वहां से बचकर मोहम्मद साहब एक बगीचे में पहुंचे और निढाल होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए।
तब अल्लाह ने जिब्रील फरिश्ते को उनके पास भेजा और कहा गया कि “आप अगर कहे तो आप के हुक्म से शहर के दोनों ओर के पहाड़ों को मिला दिया जाएगा और पूरे शहर को उनके बीच मिशल कर रख दिया जाएगा।”
नबी (सल्ल0) ने जिब्रील से कहा, “नहीं! बल्कि मैं उम्मीद करता हूं कि ये लोग ना सही, इनकी नस्लो में से ऐसे बंदे पैदा होंगे जो सिर्फ अल्लाह की इबादत करेंगे।”
इतनी तकलीफ और मुसीबतों को झेलने के बावजूद उन्होंने पत्थर मारने वाले लोगों का बुरा नहीं चाहा तो सोचिए उसके बताए रास्ते पर चलने वाले लोग भला कैसे किसी का बुरा चाह सकते हैं?
निष्कर्ष,
कुरान एक पवित्र किताब है, इसमें लिखी बातें सच्ची हैं। मोहम्मद साहब भी सच्चे हैं। मगर मुसलमानों का इस्लाम के प्रति जो रवैया है, उसके कारण गलतफहमियां उत्पन्न हो रही हैं और इस्लाम के बारे में झूठी बातें फैल रही है।
इस्लाम धर्म के बारे में फैली इन सब गलतफेमियों के अलावा और भी कई ऐसी झूठी बातें हैं, जिन्हें इस्लाम धर्म को बदनाम करने के मकसद से फैलाया जा रहा है।
नोट:- यहां पर दी गई सभी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध ही गई जानकारी से ली गई है, अर्थात हमसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए क्षमा चाहते हैं।
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Manoj Dwivedi
बढ़िया जानकारी,
Manzar ul Wase
आपने इस्लाम के बारे में जो जानकारी दी है वह शत-प्रतिशत
सही है , उसमें कुछ भी असत्य नहीं है और न कोई बात
छुपाई गई है ।
dharmesh rajput
Bahut hi badhiya lekh h j
Rahul Khan
आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई
मो० नसरुल
बहुत ही उम्दा तरीके से बताया है।
Pravinkumar
जन्नत वाली पोस्ट लिखी है आपने., .. बहुत ही प्रभावित किया है इस पोस्ट ने
ऋतिक मिश्रा
जी बिलकुल मैं भी आपसे सहमत हूँ।
आनंद कुमार
हालांकि मैं किसी भी धर्म में विश्वास नहीं रखता और इंसानियत धर्म को सबसे श्रेष्ठ समझता हूँ. लेकिन आज आपका ये पोस्ट पढ़कर मुझे अहसास हो रहा है कि दुनिया में आज भी सच्चे और नेक दिल लोग मौजूद हैं जो कि सच्चाई का साथ दे रहे हैं. कुछ लोगों को आपकी पोस्ट गलत लग सकती है लेकिन इसके बावजूद आपने जिस निडरता से पोस्ट किया है वो काबिलेतारीफ है.
जुमेदीन खान
धन्यवाद भाई,
इस पोस्ट से इस्लाम के बारे में फैली गलतफहमियां दूर होंगी।
मो० शमसूजजोहा
बहुत अच्छी कोशिश आप का बहुत बहुत शुक्रिया