एक बार की बात है गुरूनानक देव जी अपने शिष्यों के साथ जंगल से होकर गूजर रहे थे वो उस जंगल को पार नहीं कर पाते है उससे पहले ही सूर्यास्त हो जाता है और रात का अँधेरा छाने लगता है यह देख कर गुरूनानक देव जी अपने शिष्यों से कहते है की सभ्य लोगों को रात में सफर नहीं करना चाहिए, इसलिए हम यही रूक जाते है और सवेरा होने पर इस जंगल को पार करेंगे। (झूठ)
गुरूनानक देव जी की ये बात सुन कर उनके शिष्य वही पर डेरा डाल देते है। गुरूनानक अपने शिष्यों के साथ भोजन आदि करके विश्राम कर रहे होते है की तभी एक चोर डरता हुआ गुरूनानक देव जी के पास आता है और उनके चरणों में माथा टेकते हुए कहता है की गुरूजी मैं एक चोर हूँ परन्तु मैं इस चोर के जीवन से बड़ा ही तंग आ गया हूँ, इसलिए अब मैं सुधरना चाहता हूँ।
आप तो सभी को अंधकार से उजाले की और आने की राह दिखाते है कृपया आप मेरा भी मार्गदर्शन करें। गुरूनानक देव जी ने उस चोर की बात सुन कर बड़े ही शांत स्वभाव से उस चोर से कहा, “ठीक है तुम आज से चोरी करना और झूठ बोलना छोड़ दो सब अपने आप ही ठीक हो जाएगा।”
गुरूनानक देव जी की ये बात सुन कर वो चोर उनसे बोला की आपने जैसा कहा है मैं वैसा ही करूँगा और फिर वो गुरूनानक देव को प्रणाम करके वहाँ से चला जाता है। कुछ दिनों बाद वो चोर गुरूनानक देव को ढूंढ़ता हुआ उनके पास आया और उनके चरणों में माथा टेक कर बोला की गुरूदेव जैसा आपने कहा था की चोरी और झूठ बोलना छोड़ दो मैंने वैसा करने की बहुत कोशिश की परन्तु ना मैं चोरी करना छोड़ सका और ना ही झूठ बोलना छोड़ पाया, इसलिए आप मुझे इन अवगुणों से छुटकारा पाने का कोई आसान उपाय बताईये।
झूठ बोलना कैसे छोड़े
गुरूनानक देव जी ने चोर की बात सुन कर कुछ देर सोचा और फिर उससे कहा की तुम्हारे मन में जो भी आये वो करो लेकिन जिसके यहाँ रात को चोरी करो उसके यहाँ सुबह जाकर अपनी चोरी के बारे में बता दो, जिन-जिन लोगों से झूठ बोलो उन्हें शाम को अपने बोले हुए झूठ के बारे में बता दिया करो।
ने जाने कैसे, उस चोर को गुरूनानक का यह उपाय बड़ा ही आसान लगा और वो उनसे बोला की मैं ऐसा ही करूँगा फिर वो गुरूनानक देव को प्रणाम करके वहाँ से चला गया। बहुत दिनों बाद गुरूनानक देव जी उसी जंगल के रास्ते वापस जा रहे थे तो उन्हें वो चोर उस जंगल में लकड़ियाँ काटते हुए दिखाई पड़ा।
गुरूनानक देव जी ने उससे पूछा की मैंने तुमसे जैसा करने को कहा था तुमने वैसा किया या नहीं? तो उस चोर ने शर्म से अपनी गर्दन झुका कर कहा की गुरूजी आपने मुझसे जैसा करने को कहा था मैं वैसा नहीं कर पाया क्योंकि मैंने तो आपके बताए उस उपाय को बड़ा ही आसान समझा था परन्तु मैं जिसके घर में चोरी करता था उसे ही अपनी चोरी के बारे में बताने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता था और जिससे झूठ बोलता था उसके सामने ही अपने झूठ के बारे में बताने में बहुत शर्म आती थी। इससे अच्छा मैंने चोरी करना और झूठ बोलना ही छोड़ दिया है।
तब गुरूनानक देव जी हँसते हुए उस चोर से बोले की ये बताने में तुम शर्मिंदगी क्यों महसूस कर रहे हो ये तो वही हुआ जो तुम चाहते थे तुमे चोरी और झूठ बोलने जैसे अवगुणों से मुक्ति मिल गई है।
वैसे ही अगर गुरूनानक देव जी की तरह एक अच्छा इंसान आपके जीवन में आ जाता है तो समझ लो की आपके भीतर के सभी गुण आपके सभी अवगुणों पर हावी हो सकते है और आप एक अच्छे इंसान बन सकते है इसलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगत में खुद को रखो।
आपको ये प्रेरणादायक कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताईये और इसे अपने दोस्तों के साथ साझा जरूर करें।
Sujal Desai
आपने बोहोत बढ़िया कहानी बताई. झूठ और चोरी इंसान को कभी आगे बढ़ने नही देते. इसी लिए कभी बजी झूठ मत बोलिये.