प्लास्टिक की थैली और बैग के फायदे और नुकसान

मानव द्वारा निर्मित चीजों में प्लास्टिक थैली एक ऐसी है जो माउंट एवरेस्ट से लेकर सागर की तलहटी तक सब जगह मिल जाती है। पर्यटन स्थलों, समुद्री तटों, नदी-नाले-नालियों, खेत-खलिहानों, भूमि के अन्दर-बाहर सब जगहों पर आज प्लास्टिक कैरी बैग्स अटे पड़े हुए हैं। लगभग 3 दशक पहले किये गये इस अविष्कार ने ऐसा प्रभाव जमा दिया है की आज प्रत्येक उत्पाद plastic bag में मिलता है और घर आते-आते ये थैलियां कचरे में तब्दील होकर पर्यावरण को हानि पहुंचा रही हैं।

Plastic Bag के दुष्प्रभाव

Plastic bags या कैरी बैग्स का इस्तेमाल इतनी अधिक मात्र में हो रहा है की सारे विश्व में एक साल में दस खरब प्लास्टिक थैलियां काम में लेकर फेंक दी जाती हैं। अकेले जयपुर में प्रतिदिन 35 लाख लोग प्लास्टिक का कचरा बिखेरते है और 70 टन प्लास्टिक का कचरा सडकों, नालियों और खुले वातावरण में फैलता हैं।

केन्द्रीय पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक एक व्यक्ति एक साल में 6 से 7 किलो प्लास्टिक कचरा (plastic bags) फैकता है। इस प्लास्टिक कचरे से नालियां बंद हो जाती है, धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है, भूगर्भ का जल अपेय बन जाता है, रंगीन plastic bags से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो जाते हैं।

साथ ही लाखों गायों की जान चली जाती हैं। पुरे राजस्थान में प्लास्टिक उत्पाद-निर्माण की 1300 इकाइयाँ है, तो इस हिसाब से पुरे देश में कितनी होंगी, यह सहज अनुमान का विषय है। इस तरह प्लास्टिक कचरे का प्रसार कैसे रुक सकता हैं।

प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदुषण – Plastic Bag

पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के 20 माइक्रोन या इनसे पतले उत्पाद को पर्यावरण के लिए बहुत घातक बताया है। ये थैलियां मिट्टी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देती है। इन थैलियों के प्लास्टिक में polyvinyl chloride होता है जो मिट्टी में दबे रहने पर भूजल को जहरीला बना देता है।

बरसात में प्लास्टिक के कचरे से दुर्गन्ध आती है, नदी-नाले अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्तिथि आ जाती है। हवा में प्रदुषण  फैलने से अनेक असाध्य रोग फ़ैल जाते है, कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक कचरा खाने से गाय आदि पशुओं की अकाल मौत हो जाती हैं इस तरह से प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण को हानि पहुंचती हैं।

प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध

प्लास्टिक थैलियों के उत्पादकताओं को कुछ फायदा हो रहा हो और उपभोक्ताओं को भी सामान ले जाने में सुविधा मिल रही हो लेकिन यह क्षणिक लाभ पर्यावरण को दीर्घकालीन नुकसान पहुंचा रहा है।

कुछ लोग 20 माइक्रोन से पतले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर उसमें अधिक मोटे प्लास्टिक को रिसाइक्लड करने का समर्थन करते है लेकिन वह रिसाइक्लड  प्लास्टिक भी एलर्जी, त्वचा रोग एवं पैकिंग किये गये खाद्य पधार्थों को दूषित करता है।

इसलिए हर तरह की plastic bags पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। राजस्थान सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है जो की पर्यावरण की नजर से उचित और स्वागत-योग्य कदम हैं।

प्लास्टिक थैलियों का उपयोग पर्यावरण की नजर से सर्वथा घातक है। यह असाध्य रोगों को बढ़ाता है। इससे अनेक नुकसान होने से इसे पर्यावरण का दुश्मन भी कहा जाता है।

प्लास्टिक उद्योगों को भले ही क्षणिक फायदा होता हो लेकिन इनका असर अनेक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है इसलिए प्लास्टिक थैलियों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में जरुरी हैं।

पर्यावरण प्रदुषण के खतरे

प्रदुषण तीन प्रकार का होता है – वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण और जल प्रदुषण। वायु प्रदुषण धुएं के द्वारा होता। मीलों कारखानों और वाहनों द्वारा छोड़े गये धुएं से वायु-प्रदुषण होता है। हम प्रदूषित वायु में सांस लेते है उसके परिणामस्वरूप ही फेफड़ों की बीमारियां, सिर-दर्द और अन्य बीमारियां हो जाती हैं।

अपशिष्ट पदार्थ और कूड़ा-कचरा नदियों में फेंक दिया जाता है इससे जल प्रदूषित हो जाता है। हानिप्रद कीटाणु उत्पन्न हो जाते है। हम प्रदूषित जल पीते हैं और अनेक बिमारियों हो जाती हैं।

मशीनों और वाहनों, जैसे – मोटरकार, बस व ट्रको का शोर वातावरण में मिल जाता है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। यह भी खतरनाक है। यह हमारे कानों और दिमाग पर प्रभाव डालता है। मनुष्य बहरा हो जाता है मतलब कम सुनने वाला हो सकता हैं।

प्रदूषण की समस्या, एक गंभीर समस्या है। प्रदूषित वातावरण स्वास्थ्य के लिए खतरा है। हमें इसे रोकना चाहिए अन्यथा हम जिन्दा नहीं रह पाएंगे। हमें nature का सम्मान करना चाहिए। योजनाबद्ध औद्योगीकरण होना चाहिए। हमें अधिक से अधिक पेड़ उगाने चाहिए।

इनमें जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण प्लास्टिक थैलियों की वजह से हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक कचरे को नाले में पटकने से पानी प्रदूषित होता है और plastic bags को जलाने पर इससे निकले विषैले धुएं से वायु प्रदूषित हो रही हैं जिससे अनेक बीमारी जन्म ले रही हैं।

Plastic Bag, पॉलीथिन के दुष्प्रभाव

बाजार जाना है जैसे ही हमारे कानों में आवाज पड़ती है हम उठकर खड़े हो जाते है। पैसे जेब हो तो थैला लेकर जाने की कोई झंझट ही नहीं। यह झंझट तो पहले थी जब प्लास्टिक थैली का इतना प्रचलन नहीं था। बाजार पहुंचिए। खरीदना है तो खरीद लें। दुकानदार खरीदी हुई चीज को plastic bag में रखकर दे देगा।

हाथ में पकड़कर घर ले आईये। सामान के न गिरने का डर और न भीगने का डर। घर पहुँचते ही सामान को प्लास्टिक की थैली से बाहर निकालिए। पॉलीथिन का उपयोग खत्म, जहाँ चाहे वहां फेकिए लेकिन जरा सोचो, बाहर फेंका गया प्लास्टिक बैग नाली में बहकर पानी के साथ आगे बढकर पानी को रोकता हैं।

पानी को रोकने में सभी तरह का कचरा सहयोग करता हैं जो दूसरों के द्वारा इसी प्रकार फेंका गया हैं। जो बिना बाढ़ के मोहल्ले में भी बाढ़ की शंका पैदा करता हैं। पानी का रुकना गंदगी का साम्राज्य फैलना हैं मलेरिया फैलने का कारण बनता हैं।

प्लास्टिक थैली बनी जहर की पोटली!

पर्यावरण को प्रदूषित करता है साथ ही जानवरों के लोटने और आराम करने का साधन बनता हैं। बीमारियों फैलें, इससे पानी में और बाहर सड़कों पर प्लास्टिक की थैली पटकने वालों का कोई सरोकार नहीं, यह कमी जानवरों की नहीं बल्कि उनकी है जो बिना सोचे-समझे नाले के पानी में बहा देते हैं।

हम यह भी जानते है की प्लास्टिक थैली (plastic bag) ऐसे रसायनों से मिलकर तैयार किया जाता है की चाहे यह जमीन में कई सालों तक दबा रहे फिर भी यह गलता नहीं है। हवा, मिट्टी और पानी का इस पर कोई असर नहीं होता हैं।

इसमें अवगुणों के अलावा और कुछ नहीं है यह जीवन के सहज प्रवाह को रोक लेता है। हवा को पास नहीं होने देता है इसे अगर जानवर निगल ले तो तड़प – तड़प कर मर जाता है इसलिए प्लाटिक थैली अब तो असहनीय हो गया है इसे हर हाल में प्रतिबंधित करना चाहिए।

सरकारें इसके निर्माण पर बार-बार रोक लगाती है जन आन्दोलन इसके खिलाफ खड़ा हो जाता है। रंग-बिरंगे प्लास्टिक की थैली कैंसर के जनक हैं इसलिए यह जन-जीवन के लिए घातक है अभी भी समय है की हम सब इसके भयावह रूप से परिचित हो जाएं और इसका उपयोग करना बंद कर दें तो यह हमारे जीवन के लिए उपयोगी रहेगा।

अब आप plastic bag के नुकसान और पर्यावरण के लिए प्लास्टिक थैली कितनी हानिकारक है ये अच्छी तरह से समझ गये होंगे और आपको ये भी समझ आ गया होगा की प्लास्टिक की थैलियों को प्रतिबंधित क्यों किया जाना चाहिए।

अगर आप भी प्लास्टिक थैली (plastic bag) पर प्रतिबंध लगाने से सहमत है तो आपको इस पोस्ट की जानकारी उपयोगी लगी होगी, अगर लगी है तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ साझा जरुर करें।

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मैं इस ब्लॉग का एडिटर हु और मुझे लिखने का बहुत शौक है। इस ब्लॉग पर मैं एजुकेशन और फेस्टिवल से रिलेटेड आर्टिकल लिखता हूँ।

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Comments (1)

  1. Avatar for प्रकाश चिंतामण सालुंखेप्रकाश चिंतामण सालुंखे

    हम आपसे सहमत हैं, और प्लास्टिक की उपयोग, जहां थोड़ा योगदान देकर (आर्थिक, भौतिक तथा वैकल्पिक) टाला जा सकता है।हर एक को भारत के नागरिक होने के नाते ही नहीं अपितु, इस धरा पर जन्में बुध्दिजीवियों के नाते और हमारी आनेवाली पीढियाँ तथा इस धरा पर धीमी गति से नष्ट हो रहे जीवन के सुदृढ़ और उज्वल भविष्य के लिए, प्लास्टिक की बॅग्स जिनका सार्वजनिक रूप से बहुत ज्यादा मात्रा मे उपयोग किया जा रहा हैं उस पर पाबंदी आनी चाहिए ।और इसी मुद्दे के चलतें, हम प्लास्टिक की उपयोगिता जो जीन क्षेत्र मे बिलकुल जरूरी नहीं है, जिससे कि पर्यावरण को बड़ी क्षति पहुंचती हैं, उसका पुरजोर विरोध करते हैं, तथा संपूर्ण मानव जाति से भी निवेदन करतें है की जहां प्लास्टिक का उपयोग आवश्यक नहीं है जिससे पर्यावरण को बड़ी क्षति पहुंचती हैं उसका विरोध करने में सहयोग करें ।ब्लॉग लिखने वाले इस भाई को हार्दिक बधाई और अनेक धन्यवाद प्रकट करने के साथ हार्दिक शुभकामनाएं ।

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