मुहर्रम पर शायरी – Muharram Shayari in Hindi 2024

Muharram Shayari: मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महिना है। यह वह महिना है जब पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे, उनकी शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता हैं। इस महीने की शुरूआत में दस दिन तक शिया मुस्लिम इमाम हुसैन की याद में शौक मनाते हैं। यहाँ हम 20+ मोहर्रम पर शायरी शेयर कर रहे है। Muhrram par shayari in hindi 2024.

मुहर्रम पर शायरी - Muharram Par Shayari in Hindi

मुहर्रम कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है। मुहर्रम एक ऐसा महिना है, जिसे मुस्लिम समाज के लोग इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाते है। मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन और उसके भाई हसन का ताजिया निकाल कर शौक मनाया जाता है, ये दिन मुहर्रम महीने का 10वाँ दिन होता है।

ये हिजरी संवत का प्रथम महिना है जिसे इस्लामिक नया साल भी कहते है। ये दिन मुहर्रम महीने का 10वाँ दिन होता है। मुहर्रम की तारीख हर साल बदलती रहती है क्युकी इस्लाम का कैलेंडर एक लूनर कैलेंडर होता है। मोहर्रम माह से ही इस्लामिक कैलेंडर की शुरूआत होती है।

मुहर्रम शायरी इन हिंदी – Muharram Shayari in Hindi

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मुहर्रम शायरी

कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी,

खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।


Muharram Shayari in Hindi

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,

खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।


हुसैन की शान में शायरी

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,

सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,

नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,

कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।


मुहर्रम पर शायरी

गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला,

सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,

सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।


हुसैन का सम्मान शायरी

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,

जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,

दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।


मुहर्रम की शायरी

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,

ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,

लहू जो बह गया कर्बला में,

उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।


कौन है हुसैन शायरी

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,

इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,

हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।


इमाम हुसैन शायरी – Muharram Sad Shayari

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,

ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है,

सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो  उसे कहता है अर्थ वाला,

तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।


कर्बला शायरी

ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,

सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।


Karbala Shayari in Hindi

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,

कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,

दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,

जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।


Hussain Shayari

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया,

घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,

नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,

उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।


Muharram Shayari

खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,

रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,

खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।


Muharram Sher-o-shayari

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,

वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई, नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,

हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।


अशुरा मुहर्रम मातम शायरी

एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन,

ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,

फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,

होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।


हुसैन शहादत शायरी

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,

कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,

सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,

महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।


हुसैन के लिए शायरी

दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया,

जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया,

हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया,

हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।


सच्चा पैगंबर शायरी

न हिला पाया वो रब की मैहर को,

भले ही जीत गया वो कायर जंग,

पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ,

वही था असली और सच्चा पैगंबर।


इमाम हुसैन का जलवा शायरी

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,

ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,

ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।


हुसैन पर शायरी

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,

उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,

यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है।


मुहर्रम गजल शेर-ओ-शायरी

कर्बला की जमीं पर खून बहा,

कत्लेआम का मंजर सजा,

दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।


मुहर्रम उर्दू शायरी

इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,

अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।


मुहर्रम पर दिल को छु लेने शायरी

ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां,

सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,

सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,

असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।


इमाम हुसैन की शायरी

हथियारों से जंग जीती जा सकती है पर दिल नहीं,

दिल तो किरदार से जीते जाते है।


ताजिया शायरी इन हिंदी

ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से,

सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन जिंदा है।


इमाम हुसैन के काफिले के 72 लोगो ने अपने धर्म को बचाने और सच्चाई पर चलने की खातिर अपनी जान दे दी, वो हस्ते हस्ते कुर्बान हो गए। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है।

अगर आपको इस्लाम नया साल मुबारक शायरी चाहिए तो आप ये पोस्ट पढ़े,

इस पोस्ट में आपको मुहर्रम क्या है? मुहर्रम क्यों मनाते है की जानकारी भी मिली और मुहर्रम शायरी भी, उम्मीद है आपको ये पोस्ट पसंद आएगी।

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About Jamshed Khan

मैं इस ब्लॉग का एडिटर हु और मुझे लिखने का बहुत शौक है। इस ब्लॉग पर मैं एजुकेशन और फेस्टिवल से रिलेटेड आर्टिकल लिखता हूँ।

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Comments (4)

  1. Avatar for BuntyBunty

    बहुत खूबसूरत अंदाज़

  2. Avatar for Yasin DropinwalaaYasin Dropinwalaa

    Bahut hi khub

  3. Avatar for Md Hasan MahmoodMd Hasan Mahmood

    बहुत उम्दा सायरी है

  4. Avatar for Azizur RahamanAzizur Rahaman

    Bahut achha sayeri hai bhai dil ko chu liya nice thank u

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