मुस्लिम समुदाय का एक छोटा बच्चा भी जानता है कि रमजान क्यों मनाया जाता है लेकिन किसी अन्य समुदाय के लोगों को शायद ही पता हो। हम सभी एक ऐसे देश में रहते हैं जिसमें कई जाति और धर्म के लोग रहते हैं। अगर आप हिंदू हैं और भारत में रहते हैं तो आपको Ramadan के बारे में पता होना चाहिए, रमज़ान क्यों मनाया जाता है, मुस्लिम धर्म में रोजा क्यों रखते हैं, इस्लाम में Ramzan का क्या महत्व है।
इस्लाम में ramjan का महीना सबसे पवित्र महीना माना जाता है। रमज़ान का महीना 29 या 30 दिन का होता है। सभी मुस्लिम देशों में रमजान का बहुत महत्व है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। जिस तरह हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान 9 दिनों के उपवास का महत्व है, उसी तरह मुस्लिम धर्म में रमजान को बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है।
मुस्लिम धर्म में रमजान को नेकी का मौसम भी कहा जाता है। इस दिन मुस्लिम लोग अपने अल्लाह की इबादत करते हैं और ऐसे काम करते हैं जिससे अल्लाह खुश होता है। रमज़ान के महीने की शुरुआत चांद देखकर की जाती है।
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि रमज़ान क्यों मनाया जाता है, इस्लाम में रोज़े क्यों रखे जाते हैं, रमज़ान का महत्व और इतिहास क्या है? अगर नहीं तो हम आपको इस आर्टिकल में यही सब बताने वाले हैं तो अंत तक पढ़ें।
रमजान क्यों मनाया जाता है? Ramadan Kyu Manaya Jata Hai
इस्लाम धर्म में रमजान (Ramadan) एक बड़ा त्योहार होने के साथ-साथ मुसलमानों का पवित्र महीना भी है। इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है और 12वां महीना जु अल-हज्जा है। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है। रमज़ान को Ramadan भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय में यह महीना सभी महीनों में सबसे पवित्र माना जाता है। रमजान के इस पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय रोजा रखता है और अल्लाह की इबादत करता है।
रमजान महीने की 27वीं रात शब-ए-कद्र के दिन अल्लाह ने दुनिया की सबसे पवित्र किताब कुरान को नाजिल किया था। कुरान इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ है। कुरान में हर मुसलमान के लिए रोजा अनिवार्य किया गया है। मुसलमानों के लिए रमज़ान का महीना साल का सबसे पवित्र महीना होता है।
इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार, रमजान का महीना आत्म संयम का महीना है। इस तरह रमजान का महिना मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ साथ आदतों को छोड़ने का संदेश देता है। मुस्लिम लोगों के अनुसार रोजा रखने से आदमी का मन पवित्र होता है और बुरे विचार खत्म हो जाते हैं।
जो आदमी रमजान महीने के सभी रोज़े रखता है अल्लाह उसके सभी गुनाह माफ कर देता है। रोजा सूर्योदय होने से पहले रखा जाता है और सूर्यास्त होने के बाद समाप्त किया जाता है। उसके बाद रात के समय अल्लाह से समाज की बेहतरी के लिए सामूहिक रूप से तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। इस महीने में मुस्लिम लोग ज्यादा से ज्यादा दान पुण्य करते हैं।
इस्लाम में रमजान का क्या महत्व है?
रमजान का महीना मुस्लिम धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी महीने में उनके अल्लाह ने उनके लिए कुरान जमीन पर उतारी थी। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, यह महीना अल्लाह की इबादत का महीना होता है।
मुसलमान लोग समझते हैं कि, रमजान में जो अल्लाह की सबसे ज्यादा इबादत करता है उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जायेंगे और उसकी हर ख्वाहिश पूरी होगी। इसलिए रमजान के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा रोज़े रखे जाते हैं।
इस्लाम धर्म में, रमजान के महीने में रोजा रखने का मतलब, अपने अल्लाह के प्रति सच्चे दिल से कृतज्ञता व्यक्त करना और इबादत करना है।
रमजान का इतिहास (Ramzan History in Hindi)
ऐसा कहा जाता है कि रोजे रखने की शुरुआत हजरत आदम के जमाने से ही हो गई थी। इस्लाम धर्म में रमजान में रोजे रखने का प्रचलन बहुत पुराना माना जाता है। इस्लामिक धर्म के अनुसार, अल्लाह ने 610 ईसवी में पैगम्बर मोहम्मद साहब को आसमानी किताब कुरान की आयतों को सुनाया था तब से इस्लामिक कैलेंडर के 9 वें महीने को रमजान के रूप में माना जाता है।
यह महीना इसलिए भी खास है क्योंकि यह सभी मुस्लिमों को नेकी के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान को एक त्योहार के रूप में मानते हैं। Ramadan के सभी रोजे पूरे होने के बाद सभी मुसलमान एकजुट होकर ईद की नमाज पढ़ते हैं।
रोजे रखने के कुछ जरूरी नियम
- रोजे के दौरान, खाने के बारे में न सोचें।
- रोजा रखने के साथ-साथ कुरान पढ़ें और जितना हो सके गरीबों को दान करें। गरीब चाहे अन्य धर्म के क्यों न हो।
- रोजे के दौरान जो आदमी किसी का मजाक उड़ाता है, किसी चीज का लालच करता है, बुराई करता है, झूठ बोलता है उसे कोई नेकी नहीं मिलती है बल्कि अल्लाह उससे नाराज हो जाता है।
- रोजा रखने का मतलब, सिर्फ भूखा-प्यासा रहना ही नहीं है, रोजे के दौरान आपको दुनिया की हर बुराई से बचना होता है। आपनी आँखों बुरा काम न देखें, जीभ से बुरी बात ना बोलें, कान से बुरा ना सुने और ना ही बुरा बोलें।
- रोजे के दौरान आपको सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त होने से पहले कुछ नहीं खाना है।
- रोजा रखने के लिए आपको अपने शरीर और मन को पाक-साफ रखना है।
- रोजे के दौरान पाँच वक्त की नमाज और रोजाना कुरान पढ़नी चाहिए।
- अल्लाह के रसूल फरमाते हैं कि, जो शख्स रमजान के महीने में नमाज और रोजे ईमान के साथ रखे तो उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जायेंगे। रोजा हमें खुद पर काबू रखने की प्रेरणा देता है।
Conclusion
इस आर्टिकल में हमने आपको रमज़ान के बारे में बताया। जैसे, Ramadan क्यों मनाया जाता है, रमजान का महत्व क्या है, रमज़ान की शुरुआत कब और कैसे हुई, इस्लाम में रोज़े क्यों रखे जाते हैं आदि। हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको रमज़ान के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा।
रमज़ान के अंत में सभी लोग ईद मनाते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। जो लोग दूर हैं, उन्हें रमज़ान मुबारक शायरी के ज़रिए ईद की मुबारकबाद देते हैं। अगर आप भी रमज़ान मुबारक शायरी चाहते हैं तो यह आपको नीचे दिए गए आर्टिकल में मिल जाएगी।
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